संतान की सच्ची पहचान है माता पिता का बुढ़ापे में सहारा बने- सुप्रसिद्ध भागवताचार्य

जनमत युग संवाददाता)


ग्वालियर। सिकंदर कंपू मस्जिद वाली गली में आयोजित सात दिवसीय भागवत महापुराण कथा में दूसरे दिन सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पंडित घनश्याम शास्त्री जी महाराज ने बताया कि धर्म की रक्षा के लिए हमें सदैव तत्पर रहना चाहिए। धर्म की रक्षा करना मात्र एक दायित्व नहीं, बल्कि यह हमारा परम कर्तव्य भी है। जब भी धर्म पर संकट आता है, तब उसके रक्षक बनने का उत्तरदायित्व प्रत्येक सनातनी पर होता है। हमें अपने धर्म, संस्कृति और मूल्यों को बचाने के लिए संगठित होकर प्रयास करने चाहिए।

कथा में  शेरों बाली मैया का पूजन किया गया,भागवत जी की कथा सिखाती है कि दान, धर्म और विनम्रता का वास्तविक स्वरूप क्या होता है। जब राजा बलि अपने दान के अभिमान में था, तब भगवान वामन एक छोटे ब्राह्मण रूप में आए और मात्र तीन पग भूमि दान में माँगी। लेकिन जब उन्होंने अपना विराट रूप धारण किया, तो एक पग में पृथ्वी, दूसरे में आकाश और तीसरे पग के लिए राजा बलि का स्वयं का समर्पण हुआ।

 शास्त्री जी आगे बताया कि संतान की सच्ची पहचान है माता-पिता का बुढ़ापे में सारा बने माता पिता को वृद्ध आश्रम नहीं जाना पड़े इस अवसर पर नीतू राकेश, मोनिका कपिल, हरिओम शर्मा,विवेक तिवारी ने आरती की