नैमिषारण्य धाम पहुंची शुक्रदेव समिति, धाम में 24 मई से भागवत कथा

 नैमिषारण्य धाम पहुंची शुक्रदेव समिति,  धाम में 24 मई से भागवत कथा


नेमीशरण।चक्रतीर्थ में 24 मई से श्रीमद् भागवत कथा होने जा रही है जिसमें सुप्रसिद्ध भागवत आचार्य पं.श्री घनश्याम शास्त्री जी महाराज अपने  मधुर वाणी से कथा श्रवण कराएंगे कथा की तैयारी को लेकर के श्री शुक्रदेव धार्मिक एवं सामाजिक कल्याण समिति नैमिषारण्य धाम में पहुंची और वहां जाकर  तैयारियां का जायजा लिया जिसमें पंडित श्री घनश्याम शास्त्री जी महाराज, पवन भटनागर , नूतन श्रीवास्तव , पी.डी.सोनी , प्रदीप भटनागर , हरिओम शर्मा , सुनील भार्गव ने वहां जाकर के समस्त तैयारी को बारीकी से देखा पूज्य महाराज जी ने बताया कि कलयुग का दूसरा चरण चल रहा है. हर जगह कलयुग का प्रभाव देखने को मिलता है. लेकिन धरती पर खासकर भारत में एक ऐसी जगह है जहां अभी तक कलयुग का प्रभाव नहीं पहुंचा है. नैमिषारण्य यह एक ऐसा पावन तीर्थ स्थान है जहां के दर्शन के बिना आपकी चार धाम की यात्रा भी अधूरी मानी जाती है. इसलिए इस पावन भूमि को महान तीर्थ बताया गया है. इसे तीर्थों का तीर्थ कहा गया है। इसका वर्णन वेद-पुराण से लेकर हर हिंदू धर्मग्रंथ में मिलता है. श्रीमद्भागवत महापुराण, महाभारत, वायु पुराण, वामन पुराण, पद्म पुराण, शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, यजुर्वेद का मंत्र भाग श्वेताश्वर उपनिषद्, प्रश्नोपनिषद, अग्नि पुराण, गरुड़ पुराण, स्कंद पुराण, विष्णु पुराण, कालिका तंत्र, कर्म पुराण, शक्ति यामल तंत्र, श्रीरामचरित मानस, योगिनी तंत्र आदि ग्रंथों में इस स्थान का उल्लेख मिलता है. यह वही स्थान है जहां महापुराणों की रचना हुई. महाभारत काल में युधिष्ठिर और अर्जुन भी यहां आए थे. इतना ही नहीं प्राचीन काल में 88 हजार ऋषि-मुनियों ने इसी स्थान पर कठोर तपस्या की थी. इसलिए इसको  तपोभूमि भी कहा जाता है. नैमिषारण्य का प्राचीनतम उल्लेख वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड में होता है. यहां उल्लेख है कि लव और कुश ने गोमती नदी के किनारे राम के अश्वमेध यज्ञ में सात दिनों तक वाल्मीकि रचित काव्य का गायन किया